शायिरी- chapter 1 ( BirtLyricspoint)

 1. भूलकर भी आया करो कभी हमारी गलियों में ...

नाराजगी तो आपकी हमसे है ...

हमारी गलियों को क्यों सजा दे रहे हो ।


2. ख़त लिख रहा हूं तुझे ख़त में अपना हाल लिख रहा हूं ..

सुना है  मैंने , 

तुम खुश हो मुझे छोड़कर ,

इसलिए मै भी सब राजी खुशी खुश हाल लिख रहा हूं...।


३.कहा है बसेरा मेरा कहा है बस्ती ..

अपने यार को डूंडने निकले थे  .

खो बैठे है अपनी ही हस्ती ।


४.जिस्म की नुमाइश करने वाले आशिकों में से नहीं हूं मै ...

बस तुम्हारी ज़ुल्फो से खेलना अच्छा लगता है 


५.यह इशक एक बीमारी है साहेब ...

कितना भी कुछ करलो जान लेकर ही मानता है । 

६, वो कपड़े उतारने लगी उसने सोचा शायद मेरा प्यार जिस्म तक सीमित है ..

मैंने उससे चुनरी उड़ाकर साबित करदिया की अगर हमें जिस्म से लोभ होता तो हम जिस्म के बाज़ार में होते उसके पास नहीं ।


७.मै अक्सर बहुत कुछ भूल जाता हूं..

मगर तुम्हारा इश्क़ मुझसे भुलाया नहीं जाता।


८.ये आसमान में बादल छा रहे है...

लगता है मुझे मेरे इश्क़ ने याद किया है...


Thnx for reading next chapter is coming soon 

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